उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर हादसा: छह लोगों की मौत, एक गंभीर रूप से घायल



उत्तरकाशी, उत्तराखंड | 15 जून 2025 — उत्तराखंड की शांत वादियों में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा घटा जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। उत्तरकाशी जिले के मुनस्यारी क्षेत्र में एक निजी हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ है। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है।

कैसे हुआ हादसा?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हादसा सुबह लगभग 11:45 बजे हुआ, जब एक निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर नियमित उड़ान पर था। हेलीकॉप्टर ने देहरादून से उड़ान भरी थी और उत्तरकाशी की ओर बढ़ रहा था। उड़ान के दौरान अचानक मौसम बिगड़ गया और दृश्यता कम होने के कारण हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकरा गया, जिससे वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

घटनास्थल पर राहत कार्य जारी

हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग, पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। गंभीर रूप से घायल एक यात्री को हेली एम्बुलेंस के माध्यम से देहरादून स्थित एम्स अस्पताल भेजा गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान

प्रशासन ने हादसे में मारे गए छह लोगों की पहचान कर ली है। मृतकों में पायलट, सह-पायलट, एक क्रू मेंबर और तीन यात्री शामिल हैं:

  1. कैप्टन अजय राणा (पायलट)

  2. संदीप सिंह (सह-पायलट)

  3. नीलम चौधरी (क्रू मेंबर)

  4. राम प्रसाद जोशी (यात्री)

  5. नूर हसन (यात्री)

  6. रीना देवी (यात्री)

प्राथमिक जांच और सरकारी कार्रवाई

प्राथमिक जांच में हादसे का कारण तकनीकी खराबी और खराब मौसम को बताया गया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) की एक विशेष टीम को उत्तरकाशी रवाना किया गया है।

मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इस हादसे की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और यदि किसी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।

हेलीकॉप्टर सेवाओं पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते वर्षों में ऐसे हादसों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे यह चिंता गहराई है कि क्या उड़ानों से पूर्व मौसम पूर्वानुमान, तकनीकी जांच और निगरानी प्रणाली पर्याप्त हैं?


निष्कर्ष

उत्तरकाशी का यह दर्दनाक हादसा एक बार फिर यह दर्शाता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में हवाई यात्रा अब भी जोखिम से भरी है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों को निगरानी और सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की आवश्यकता है। फिलहाल, सबसे बड़ा दायित्व पीड़ित परिवारों को न्याय और सहारा प्रदान करना है।


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