अहमदाबाद रथयात्रा 2025: हाथी के बेकाबू होने से मचा हड़कंप, प्रशासन की मुस्तैदी से टला बड़ा हादसा अहमदाबाद, 27 जून:
अहमदाबाद में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ की 147वीं ऐतिहासिक रथयात्रा के दौरान एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। रथयात्रा के दौरान हाथियों की शोभायात्रा में सबसे आगे चल रहा एक हाथी अचानक बेकाबू हो गया। इस घटना के चलते कुछ समय के लिए भगदड़ जैसे हालात बन गए। हालांकि, वन विभाग की तत्परता और प्रशिक्षित महावतों की सूझबूझ से स्थिति पर काबू पा लिया गया और एक बड़ी दुर्घटना टल गई।
कैसे हुई घटना?
यह घटना सुबह करीब 8:30 बजे शाहपुर इलाके में हुई, जब रथयात्रा का जुलूस अपने निर्धारित मार्ग पर आगे बढ़ रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सबसे आगे चल रहे हाथी ने अचानक चिंघाड़ना शुरू किया और रथ से दाईं ओर मुड़कर भागने की कोशिश करने लगा। अचानक हुई इस हलचल से श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी मच गई। कुछ लोग घबराकर गिर पड़े और भगदड़ जैसे हालात बनने लगे।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, तेज आवाजें, भीड़ की हलचल और आसपास की गतिविधियों से हाथी अचानक डर गया था। भीषण गर्मी और तनावपूर्ण माहौल ने उसके व्यवहार पर असर डाला। हालांकि रथयात्रा में भाग लेने से पहले इन हाथियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन इस तरह की प्रतिक्रिया कभी-कभी हो जाती है।
वन विभाग की तत्परता बनी संकटमोचक
हाथी के बेकाबू होते ही रथयात्रा में तैनात वन विभाग की टीम और महावतों ने तुरंत मोर्चा संभाला। हाथी को अन्य जानवरों से अलग किया गया और उसे शांत करने की कोशिशें शुरू हुईं। लगभग 10 से 12 मिनट की मशक्कत के बाद हाथी को नियंत्रित किया गया और उसे यात्रा से हटा दिया गया।
वन विभाग ने बाद में पुष्टि की कि न तो हाथी को कोई चोट पहुंची है और न ही किसी श्रद्धालु को गंभीर नुकसान हुआ है। फिलहाल हाथी की निगरानी की जा रही है और उसे रिहैबिलिटेशन सेंटर में रखा गया है।
भीड़ में घबराहट, लेकिन बड़ा हादसा टला
इस घटना के कारण रथयात्रा को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। पुलिस और प्रशासन ने तुरंत स्थिति को संभाला, सुरक्षा घेरा बनाया और भीड़ को शांतिपूर्वक नियंत्रित किया। कुछ श्रद्धालुओं को मामूली चोटें आईं, जिन्हें मौके पर प्राथमिक उपचार दिया गया। यात्रा को थोड़े समय बाद फिर से सुचारू रूप से आगे बढ़ा दिया गया।
रथयात्रा की भव्यता बरकरार
भगवान जगन्नाथ की यह रथयात्रा अहमदाबाद की सबसे पुरानी और विशाल धार्मिक परंपराओं में से एक है। इस वर्ष की यात्रा में 17 सजे हुए हाथी, 100 से अधिक भजन मंडलियां, रथ, घोड़े, झांकियां और हजारों स्वयंसेवक शामिल थे। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे—ड्रोन, CCTV निगरानी, पुलिस, होमगार्ड, ATS और RAF की तैनाती के साथ।
प्रशासन और आयोजकों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद अहमदाबाद पुलिस आयुक्त, वन विभाग के अधिकारी और आयोजन समिति के सदस्य मौके पर पहुंचे। उन्होंने श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील की। आयोजन समिति ने बताया कि ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं, लेकिन पूरी सतर्कता और तैयारी के साथ स्थिति को संभाल लिया गया।
वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नए प्रोटोकॉल तैयार किए जाएंगे और सुरक्षा गाइडलाइन्स को और कड़ा किया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों में हाथियों जैसे जंगली जानवरों की भागीदारी बेहद संवेदनशील मुद्दा है। चाहे वे प्रशिक्षित हों, फिर भी भीड़, गर्मी और शोर जैसे कारक उनके व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। पशु अधिकार संगठनों ने भी धार्मिक आयोजनों में जानवरों के उपयोग को सीमित करने की वकालत की है।
सबक और आगे की दिशा
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि आस्था और परंपरा के साथ-साथ सुरक्षा और सजगता भी आवश्यक है। भविष्य में आयोजकों को ऐसे आयोजनों की योजना बनाते समय जानवरों की भलाई और पर्यावरणीय कारकों को गंभीरता से ध्यान में लेना होगा।
श्रद्धा और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी
अहमदाबाद की रथयात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है। लेकिन बदलते समय और बढ़ती भीड़ को देखते हुए अब इस परंपरा में आधुनिक सुरक्षा दृष्टिकोण अपनाना बेहद जरूरी हो गया है। इस बार की घटना ने यह सिखाया कि सतर्कता और तैयारी के साथ किसी भी संकट को टाला जा सकता है।

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